संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने चेतावनी दी है कि 2040 तक निम्न और मध्यम आय वाले देशों में कैंसर के मामलों में 81 प्रतिशत की वृद्धि होगी। एजेंसी के मुताबिक, रोकथाम और देखभाल में निवेश की कमी के कारण ऐसा होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक रिपोर्ट में कहा है कि इन देशों ने कैंसर से लड़ने के बजाय संक्रामक रोगों का मुकाबला करने और मातृ व बाल स्वास्थ्य में सुधार करने पर अपने सीमित संसाधनों को केंद्रित किया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि इन देशों में कैंसर से मृत्यु दर अधिक रही है।
डब्ल्यूएचओ के असिस्टेंट डायरेक्टर जनरल रेन मिंगुई ने कहा, यह अमीर और गरीब देशों में कैंसर सेवाओं के बीच असमानताओं को खत्म करने के लिए हम सभी को जागरूक करने वाली सूचना है। उन्होंने आगे कहा कि यदि लोग प्राथमिक उपचार लेते हैं, तो कैंसर का जल्द पता लगाया जा सकता है। साथ ही प्रभावी ढंग से इलाज के साथ-साथ इस घातक रोग को खत्म भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कैंसर किसी के लिए भी मौत की सजा नहीं होनी चाहिए।
शोध में खुलासा-
-25 प्रतिशत कैंसर से होने वाली मौतों के लिए तंबाकू का सेवन जिम्मेदार
-10 में से एक भारतीय जीवनकाल में कैंसर से ग्रस्त हो जाएगा
भारत में 15 में से एक व्यक्ति की मौत होगी-
भारत की बात करें तो यहां कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, 2018 में कैंसर के 11.6 लाख मामले सामने आए थे, लगभग 7,84,800 मौतें हुईं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अपने जीवनकाल में 10 में से एक भारतीय कैंसर से ग्रस्त होगा और 15 में से एक की मौत हो जाएगी।
एक वैश्विक समस्या बन चुकी है यह बीमारी-
इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर की डायरेक्टर एलिसाबेट ने कहा, उच्च आय वाले देशों में कैंसर के बेहतर इलाज के चलते 2000 से 2015 के बीच मृत्यु दर में 20 प्रतिशत की कमी आई थी। लेकिन गरीब देशों में केवल पांच प्रतिशत ही मृत्यु दर कम हुई थी।