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सार
- 21 हवाईअड्डों पर अब तक 234 विमानों के यात्रियों की जांच हो चुकी है
- 43346 यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग हो चुकी है
- पुणे प्रयोगशाला में 5 हजार सैंपल की जांच का बंदोबस्त
- 49 सैंपल अब तक जांचे गए हैं, इनमें से 48 फेल हुए हैं
- पुणे की प्रयोगशाला में सैंपल आया पॉजीटिव, एक और जांच में जुटी टीम
- पुणे की प्रयोगशाला में अब तक 49 सैंपल की हो चुकी है जांच, 1 ही मिला है पॉजीटिव
विस्तार
वुहान में फंसे भारतीयों को लाने रवाना हुआ विशेष विमान
चीन में कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर वहां से भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए एअर इंडिया का 423 सीटों वाला बी747 विमान शुक्रवार को दिल्ली से दोपहर दोपहर एक बजकर 20 मिनट पर वुहान हवाईअड्डे के लिए रवाना हुआ। अधिकारियों ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय के पांच डॉक्टर और एक पराचिकित्सक कर्मी विमान में हैं। अधिकारियों ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय के पांच डॉक्टर और एक परा-चिकित्सक विमान में सवार हैं।
विमानन कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विमान करीब 12 बजकर 50 मिनट पर रनवे पर आया और दोपहर एक बजकर 20 मिनट पर उड़ान भरा। विमान के उड़ान भरने में देरी हुई क्योंकि कुछ चीजों की मंजूरी लंबित थी। उन्होंने कहा कि संभावना है कि यह विमान शुक्रवार को देर रात एक बजे से दो बजे के बीच लौट आएगा।
एयर इंडिया के सीएमडी अश्वनी लोहानी ने बताया कि एयर इंडिया की फ्लाइट से चीन के वुहान से आज कम से कम 400 भारतीयों को लाया जाएगा। भारत पहुंचने के बाद यात्रियों के लिए विदेश मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आगे की व्यवस्था की जाएगी।
लोहानी ने कहा कि विमान में यात्रियों को किसी तरह की सेवा नहीं दी जाएगी। जो भी खाद्य पदार्थ होंगे वह सीट पॉकेट में रखे होंगे। चालक दल के सदस्यों और यात्रियों के बीच बातचीत भी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि चालक दल के सदस्यों और यात्रियों के लिए मास्क का प्रबंध किया गया है। हमने चालक दल के सदस्यों के लिए सुरक्षा कवच का भी प्रबंध किया है।
विमान वुहान हवाईअड्डे पर दो-तीन घंटे के लिए रुकेगा। सरकार ने चीन के हुबेई प्रांत में रहने वाले 600 भारतीय लोगों से वहां से वापस लौटने की इच्छा जानने के लिए संपर्क किया था। हुबेई प्रांत के वुहान में इस वायरस से सबसे ज्यादा लोग प्रभावित हैं।
डब्ल्यूएचओ ने घोषित किया अंतरराष्ट्रीय आपातकाल
डब्ल्यूएचओ सभी देश की सरकारों को सलाह दी थी कि मास्क हर किसी के लिए जरूरी नहीं है। अगर कोई सांस संबंधी समस्या से ग्रस्त है। कफ या अन्य तरह की सांस लेने में दिक्कत होती है। अगर किसी सांस रोगी के आसपास हैं या फिर स्वास्थ्य कर्मचारी। यही लोग मास्क पहन सकते हैं।
जिन लोगों को सांस संबंधी परेशानी नहीं है उन्हें मास्क की जरूरत भी नहीं है। आमतौर पर जब भी इस तरह के संक्रमण की घटनाएं सामने आती हैं तो मार्केट में मास्क की बिक्री चरम पर पहुंच जाती है। हर कोई एन 95 से लेकर तमाम तरह के महंगे-सस्ते मास्क खरीदता है।
भारत में मास्क की ऑनलाइन बिक्री पर ऑफर भी दिए जाते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का यहां तक कहना है कि लोग एकदम से पैनिक हो जाते हैं और उन्हें लगता है कि मास्क अगर वे लगा लेंगे तो बच जाएंगे। जबकि ज्यादात्तर लोगों को न मास्क की जरूरत होती है और न ही उनके संक्रमित होने का डर होता है।
इसके बाद भी अगर कोई मास्क लगाना चाहता है तो जरूरी है कि उसका मुंह और नाक पूरी तरह से मास्क कवर कर रहा हो। सिंगल यूज मास्क को एक बार इस्तेमाल के बाद दोबारा उपयोग में नहीं लाना चाहिए। जब मास्क को हटाएं उसके बाद हाथों को जरूर अच्छे से धोएं। अगर खांसी या नाक से पानी निकलता है तो साफ टिश्यू से उसे साफ करें और उसे फेंकने के बाद भी अच्छे से हाथ साफ करें।
दुनिया में वायरस की ये है स्थिति
30 जनवरी तक दुनिया भर में कोरोना वायरस के कुल 7711 मामले दर्ज किए हैं जिनमें से 170 लोगों की मौत हो चुकी है। चीन के अलावा दुनिया के 21 देशों तक कोरोना वायरस पहुंच चुका है। भारत, श्रीलंका, नेपाल, फिनलैंड, एंगोला और कंबोडिया में एक-एक केस सामने आ चुका है।
जबकि थाईलैंड (14), सिंगापुर (10), जापान (08), मलेशिया (07), ऑस्ट्रेलिया और यूएसए में पांच-पांच केस दर्ज हुए हैं। वहीं फ्रांस, दक्षिणी कोरिया, जर्मनी और यूएई में चार-चार, वियतनाम व कनाडा में दो-दो, हांगकांग (10), ताइवाइन (08) और मकाओ में सात मरीज सामने आ चुके हैं।
तिब्बत में भी पहुंचा कोरोना
15 जनवरी के बाद आने वालों की जांच जरूरी