पयार्वरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को कहा कि लॉकडाउन के दौरान प्रकृति की जो निखरी छटा सामने आयी है उसे लेकर रोमांटिक होने की जरूरत नहीं है क्योंकि इन परिस्थितियों में देश के संसाधन मात्र 30 करोड़ लोगों का बोझ उठा सकते हैं, 130 करोड़ लोगों का नहीं।
महात्मा गाँधी जी कहते थे की ‘पृथ्वी सबकी जरूरतों को पूरा करेगी पर लालसा को पूरा नहीं करेगी’। प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी यही कहते है की अगर दुनिया में जलवायु परिवर्तन का सामना करना है तो हमें एक स्थायी जीवन शैली को स्वीकार करना होगा और यह भारत की विशेषता है।#EarthDay2020 pic.twitter.com/IESBZKhm4v
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) April 22, 2020
जलवायु परिवर्तन की दिशा में किए गए वायदे पूरे न करने और अधिकांश प्रदूषण के लिए विकसित देशों को जिम्मेदार ठहराते हुये उन्होंने कहा कि टिकाऊ विकास के लक्ष्य कोई देश अकेला हासिल नहीं कर सकता। कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ के बाद की दुनिया पूरी तरह बदली-बदली होगी और हमें इस नये ‘सामान्य’ को स्वीकार करना होगा।
पृथ्वी दिवस के मौके पर एक ‘वेबीनार’ को संबोधित करते हुये केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब लोगों को टिकाऊ विकास का महत्व मालूम हो रहा है। धरती हरी-भरी है, आसमान दिन में नीला और रात को तारों भरा है, जालंधर से हिमालय दिख रहा है। प्रकृति अपनी पराकाष्ठा पर है लेकिन हमें इसे लेकर रोमांटिक नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा, “यदि हम चाहते हैं कि ऐसा ही बना रहे तो हमें “कुछ” चीजों को त्यागना पड़ेगा। हमें वाहनों, उद्योगों और उत्पादों को बंद करना होगा। हमें गांवों की तरफ लौटना होगा लेकिन तब हम सिर्फ 30 करोड़ लोगों का गुजर-बसर कर सकेंगे, 130 करोड़ लोगों का नहीं।”