- दिल्ली के जाफराबाद में प्रदर्शन के बाद भड़की हिंसा की क्या है वजह।
- पुलिसकर्मी की हत्या किसी भी प्रदर्शन को सही साबित नहीं करती।
नई दिल्ली। अमरीका के राष्ट्रपति का देश की राजधानी में आगमन हो इसके ठीक पहले नागरिकता संशोधन कानून के विरोध ने हिंसक रूप धारण कर लिया। उपद्रवी इतने बेहरम हो गए कि उन्हें किसी की जान जाने से भी गुरेज नहीं था। पुलिस पर हिंसक प्रदर्शनकारियों ने पत्थर फेंके औऱ गोलियां बरसा दीं। हेड कांस्टेबल की शांति बनाए रखने की अपील का जवाब एक बदमाश ने आठ राउंड फायर करके दिया। हेड कांस्टेबल की जान चली गई। पत्रिका डॉट कॉम के इस वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि हेडकांस्टेबल रतनलाल चुपचाप अपना काम कर रहे थे। उन पर पत्थर फेंके गए, लेकिन तब भी उन्होंने वो आक्रामकता नहीं दिखाई, जिसके लिए दिल्ली पुलिस को बदनाम किया जाता रहा है। उलटा वह तो नागरिकता कानून का विरोध करने के नाम पर हिंसा फैला रहे उपद्रवियों से शांति बनाए रखने की अपील कर रहे थे।
ये कैसा विरोध प्रदर्शन है कि एक हंसता-खिलखिलाता परिवार उजाड़ दिया? आखिर क्या कसूर था दिल्ली पुलिस के हेडकांस्टेबल रतनलाल का कि सीएए के विरोध के नाम पर दरिंदे ने उन्हें सरेआम गोली का निशाना बना डाला? अपने हक की मांग करने के नाम पर दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल से जीने का अधिकार छीन लिया।