नई दिल्ली। झारखंड ( Jharkhand ) के पश्चिम सिंहभूम ( West Singhbhum ) जिले के गुदड़ी प्रखंड के बुरूगुलीकेरा गांव में हुए सात आदिवासियों ( Tribes ) की हत्या के मामले में पुलिस ( Police ) की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे वैसे मामले में कई खुलासे सामने आ रहे हैं। इस मामले में अब तक 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मामले में जांच कर रहे विशेष जांच दल ( SIT ) का कहना है कि इस मामले में सीधे तौर पर नक्सली संगठनों के तार जुड़े होने सबूत तो नहीं मिले हैं, लेकिन इसके स्पष्ट प्रमाण मिले हैं कि मृतक जेम्स बुढ पत्थलगड़ी के विरोध में थे और उन्होंने इसके लिए प्रतिबंधित नक्सली संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट आफ इंडिया ( PLFI ) के स्वयंभू एरिया कमांडर मंगरा लुगुन से सहयोग मांगा था।
एसआईटी को इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले हैं कि यह पूरा मामला पत्थलगड़ी से ही जुड़ा हुआ है। रिपोर्ट्स में कहा गाय है कि जेम्स और उसके साथी ग्रामीण बुरूगुलीकेरा में पत्थलगड़ी का पूरी तरह विरोध करते थे। ये लोग चाहते थे कि गांव में सरकारी योजनाएं पहुंचे ताकि रोजगार के साधन पैदा हों। 16 जनवरी को जेम्स बुढ अपने कई सहयोगी के साथ पत्थलगड़ी समर्थक ग्रामीणों के घर पर धावा बोल दिया था। इनमें मंगरा लुगुन भी शामिल था। पुलिस मंगरा लुगुन की तलाश कर रही है मगर वह अब तक फरार है। जांच में यह बात भी सामने आई है कि इस गांव के सुखदेव बुढ, राणासी बुढ सहित कई ग्रामीण पत्थलगड़ी के समर्थक थे। इस दौरान जब पत्थलगड़ी समर्थकों के घर धावा बोला गया तब उनके घरों में सरकारी सुविधाओं से जुड़े कागजात फेंक दिए गए और कहा कि जब सरकारी योजनाओं का बहिष्कार करते हो तो सरकारी सुविधा क्यों ले रहे हो।
तोडफोड़ के बाद ये लोग कुछ ग्रामीणों को अपने साथ ले गए। बाद में इन लोगों को छोड़ दिया गया। छोड़े गए लोग गांव में अन्य पत्थलगड़ी समर्थकों को इसकी जानकारी दी और फिर गांव पूरी तरह दो गुटों में बंट गया। रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि जांच में यह बात सामने आई है कि गांव में इस हमले को लेकर 19 जनवरी को पंचायत बुलाई गई और पंचायत में ही जेम्स और उसके आठ साथियों को बुलाया गया। पंचायत में सभी पर आरोप लगाया गया कि उन लोगों ने पीएलएफआई सदस्य मंगरा लुगुन को गांव लाकर लूटपाट कराया है।
इस बीच कई गांव के लोगों ने मिलकर सातों का गला रेत दिया और शवों को जंगल में फेंक दिया। एसआईटी से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि अभी भी कई मामलों में जांच की जा रही है। पूरी तरह जांच के बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट होगी। अभी कुछ भी स्पष्ट कहना जल्दबाजी है। गौरतलब है कि इस मामले में गुदड़ी थाने में दो अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हैं। दर्ज एक मामले में जहां सात आदिवासियों की सामूहिक हत्या का आरोप है, जबकि दूसरे में पांच घरों में तोड़-फोड़ को लेकर मामला दर्ज है।