हम सब बचपन से सुनते आए हैं कि जिंदगी एक बार मिलती है, लिहाजा इसे बेहतर तरीके से जीना चाहिए। मगर क्या सच में हम इसका अनुसरण कर रहे हैं? शारीरिक स्वास्थ के साथ बहुत जरूरी है भावनात्मक स्वास्थ्य। अगर छोटी-छोटी बातों से आप परेशान हो जाते हैं और खुद को नकारात्मक विचारों के बीच पाते हैं तो आपके लिए जरूरी हो जाता है कि आप भावनात्मक स्वास्थ्य ( Emotional health) बारे में जानें।
दरअसल, भारत में जिस तरह से वित्तीय शिक्षा की कमी है वैसे ही भावनात्मक और मानसिक रोगों के प्रति एक तरह की जानकारी का अभाव है। केवल जानकारी का अभाव ही नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से अस्वस्थता को अक्सर पागल हो जाने की स्थिति में डाल दिया जाता है, जबकि मनोविज्ञान कहता है कि कोई भी व्यक्ति संपूर्ण रूप से मानसिक और भावनात्मक रूप से वैसा ही फिट है जैसा शारीरिक रूप से होता है। यानी की छोटी-मोटी चीजों की स्थिति अक्सर ऊपर-नीचे होती रहती है।
बहरहाल, ऐसे में हमारे लिए यह जानना जरूरी है कि आखिर भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य क्या है और कब कोई व्यक्ति यह समझे कि वह भावनात्मक और मानसिक रूप से फिट नहीं है।