भगोड़ा कारोबारी विजय माल्या
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Fugitive liquor baron Vijay Mallya outside the UK High Court, where he has appealed against the extradition decision of Westminster Magistrates Court. pic.twitter.com/bsmySCqtfV
— ANI (@ANI) February 11, 2020
हाईकोर्ट के न्यायाधीश, मजिस्ट्रेट अदालत के प्रत्यर्पण आदेश के विरुद्ध दलीलें सुनना शुरू करेंगे। मजिस्ट्रेट अदालत के प्रत्यर्पण आदेश पर पिछले साल फरवरी में ब्रिटेन के गृह मंत्री साजिद जाविद ने हस्ताक्षर कर दिए थे।
माल्या को एक आधार पर अपील करने की इजाजत मिली थी जिसके तहत बैंक ऋण हासिल करने के धोखाधड़ी पूर्ण इरादे के मामले में भारत सरकार की ओर से दर्ज मामले को चुनौती दी गई है। मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश के विरुद्ध सुनवाई गुरुवार तक चलेगी। फिलहाल तत्काल फैसला आने की संभावना नहीं है और यह इस बात पर निर्भर करेगा कि सुनवाई कैसे आगे बढ़ती है।
इस साल जुलाई में हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जार्ज लेग्गट और न्यायमूर्ति एंड्रू पोपलवेल की पीठ ने व्यवस्था दी थी कि दिसंबर, 2018 में मुख्य मजिस्ट्रेट एम्मा अर्बथनॉट के फैसले से संबंधित मामले पर प्रथमदृष्टया उसके कुछ पहलुओं पर तार्किक ढंग से दलीलें दी जा सकती हैं। न्यायमूर्ति लेग्गट ने कहा था कि काफी हद तक, सबसे उल्लेखनीय आधार है कि वरिष्ठ डिस्ट्रिक्ट जज इस निष्कर्ष पर पहुंचने में गलत थीं कि (भारत) सरकार ने प्रथमदृष्टया मामला तय किया है।
मुख्य मजिस्ट्रेट अर्बथनॉट जिस आधार पर निष्कर्ष पर पहुंची थी उस पर माल्या के वकील क्लेयर मोंटगोमेरी ने सवाल उठाया था और दावा किया था कि मुख्य मजिस्ट्रेट भारत सरकार की यह दलील मानने में भूल कर बैंठी कि माल्या ने जब अपनी (अब बंद हो चुकी) किंगफिशर एयरलाइंस के लिए कुछ ऋण मांगा था तब उनकी मंशा धोखाधड़ी करने की थी और ऋण के सिलसिले में उन्होंने गलत तथ्य सामने रखे थे एवं उनका ऋण लौटाने का इरादा नहीं है।
माल्या छह लाख पचास हजार पाउंड के जमानत बांड पर बाहर है। उस पर अन्य पाबंदियां भी लगाई गई हैं। सुनवाई जारी रहने तक वह देश से बाहर नहीं जा सकता है।