कालेज में पढ़ने वाले 18 वर्षीय राहुल सिन्हा की पूरी जिंदगी मोबाइल गेमिंग की दुनिया के इर्दगिर्द घूमती है। क्रैंडी क्रश और गार्डेनशेड जैसे सामान्य आर्केड गेम से लेकर पबजी जैसे भारी और अधिक जटिल गेम तक, तमाम गेम उनके स्मार्टफोन में मौजूद हैं।
एक शूटर गेम के तहत ऑनलाइन ‘मिशन’ में शामिल होने के लिए अपने मोबाइल स्क्रीन पर लौटने से पहले एक पल के लिए अपना सिर उठाकर उन्होंने कहा, ‘मेरे फोन की अधिकांश मेमोरी पर इन गेम का कब्जा है। मैं कंसोल्स और पीसी पर खेलता था, लेकिन जब से उन्होंने मोबाइल फोन के लिए गेम बनाना शुरू किया है, जो कंसोल गेम जितना ही अच्छा है, तब से मैंने कभी भी कंसोल गेम की तरफ पलट कर नहीं देखा है।’
उपभोक्ताओं की बढ़ती तादाद
मोबाइल गेम के प्रति दीवानगी लगातार बढ़ रही है। शुरू में कैंडी क्रश, पोकेमॉन गो जैसे गेम बेहद लोकप्रिय थे। इन गेम्स की लोकप्रियता भी जगजाहिर थी। पोकेमॉन गो युवाओं के बीच काफी पसंद किया गया। जहां-तहां लोग अपने-अपने पोकेमॉन के लिए रुककरउन्हें खोजते थे। एक समय ऐसा भी था, जब उपभोक्ताओं ने अपने पोकेमॉन को खोजने के दौरान कई मृत लोगों को भी खोज लिया था।
अब, एक्शन पर जोर देने वाले पबजी जैसे गेम बाजार पर कब्जा जमा रहे हैं। कॉल ऑफ ड्यूटी को भारत के 1.37 करोड़ उपभोक्ताओं ने डाउनलोड किया। इतने ज्यादा उपभोक्ताओं के डाउनलोड करने बाद भारत सिर्फ अमेरिका से पीछे था। इस फस्र्ट-पर्सन शूटर गेम को पहले ही हफ्ते में 10 करोड़ से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका था।
नैसकॉम की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का मोबाइल गेम बाजार 2020 तक 1.1 अरब डॉलर का हो जाएगा और इसके उपभोक्ताओं की संख्या 62.8 करोड़ होने का अनुमान है। इस उद्योग के विशेषज्ञों को लगता है कि मोबाइल गेमिंग 2020 में और भी बड़ा हो जाएगा।
फोन हो रहे और भी स्मार्ट-
सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया है कि भारत में 22.2 करोड़ से भी अधिक गेमर हैं, जो औसतन 42 मिनट मोबाइल गेम को देते हैं। वीडियो गेम विकसित करने वाली ब्रिटिश कंपनी कोडमास्टर्स के कर्मी रोहित सुमंत कहते हैं, ‘स्मार्टफोन का बाजार हर दिन बड़ा होता जा रहा है। यह उतना ही अच्छा है जितना कोई कंप्यूटर या कंसोल। इसलिए आप अपने फोन पर कॉल ऑफ ड्यूटी या अस्फैल्ट जैसे हैवी-ड्यूटी गेम आसानी से चला सकते हैं। यह काफी अधिक सुविधाजनक है। आप इसे कहीं भी चला सकते हैं। साथ ही गेमिंग के लिए आपको अलग से बजट भी नहीं निकालना होगा।’
जेब गर्म करने का जरिया-
पोकर, रमी और तीन पत्ती जैसे ऑनलाइन गेम की लोकप्रियता भी मोबाइल गेम की लोकप्रियता बढ़ाने का एक बड़ा कारण है। पोकर, रमी और तीन पत्ती जैसे गेम लोगों को, इन्हें खेलकर वास्तविक दुनिया में पैसा बनाने की अनुमति देते हैं। ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन के सीईओ रोलांड लैंडर्स कहते हैं, ‘ऐसे खेलों के साथ, व्यक्ति के पास पैसा कमाने का विकल्प होता है। गेमप्ले काफी आसान है।
बेहतर स्मार्टफोन और इंटरनेट कनेक्टिविटी से चीजें आसान हो जाती हैं। पैसे बनाने वाले खेलों के लिए भारतीय ऑनलाइन बाजार लगभग 6,200 करोड़ का है, जो हर दिन तेजी से बढ़ रहा है। इसके अलावा, इनमें से कुछ गेम, जैसे रमी या तीन पत्ती, पारंपरिक कार्ड गेम हैं, जो परिवार या दोस्तों के साथ खेले जाते हैं। अब, वे एक कमरे में हुए बिना एक ही खेल अलग-अलग जगह से खेल सकते हैं।’
आभासी लाभ-
रॉलोकुल गेम्स के सीईओ रोहित गुप्ता एक दशक से अधिक समय से मोबाइल फोन के लिए गेम विकसित कर रहे हैं। उन्होंने कभी भी लॉजिस्टिक मुद्दों के कारण कंसोल या पीसी गेमिंग में जाने के बारे में नहीं सोचा। उनका कहना है, ‘एक कंसोल या पीसी के लिए, आपको सीडी डाउनलोड करने और फिर उन्हें संबंधित प्लेटफार्मों पर स्थापित करने की आवश्यकता होती है।
मोबाइल गेम के साथ, ऐसी कोई आवश्यकता नहीं पड़ती, क्योंकि आपको केवल सॉफ्ट कॉपी विकसित करना होता है और फिर इसे ऐप स्टोर पर रखना होता है। लोग इसे सीधे अपने फोन पर डाउनलोड करते हैं। यह सबसे बड़ा कारण था कि हमने केवल मोबाइल गेमिंग में निवेश किया।’
समर्थ गोयल