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इसी कड़ी में, जर्मनी के बायोएनटेक कंपनी के साथ मिलकर काम कर रही अमेरिकी दवा निर्माता कंपनी फाइजर का लक्ष्य कोरोना वायरस वैक्सीन की एक से दो करोड़ खुराक बनाना है, जो परीक्षण परिणामों के आधार पर आपातकालीन उपयोग के लिए 2020 के अंत तक तैयार हो जाएगी। कंपनी के प्रमुख ने गुरुवार को इस बात की जानकारी दी।
फाइजर वैक्सीन के प्रमुख नानेट कोसियेरो ने कहा कि निश्चित रूप से हमें यह देखने और प्रतीक्षा करने की आवश्यकता है कि आने वाले महीनों में वैक्सीन की प्रभावकारिता और सुरक्षा कैसे प्रदर्शित होती है।
उन्होंने कहा कि हम इस साल के अंत तक लगभग एक से दो करोड़ खुराकों के निर्माण की कोशिश कर रहे हैं, जिससे उम्मीद की जा रही है कि आपातकालीन स्थिति में इन दवाओं का उपयोग किया जा सकता है।
बता दें कि ये दोनों कंपनियां कोरोना वायरस के लिए चार संभावित वैक्सीन पर काम कर रही है और अप्रैल महीने की शुरुआत में इन्होंने जर्मनी में स्वयंसेवकों पर इसका नैदानिक परीक्षण शुरू किया था।
एक नए टीके को सामान्य उपयोग के लिए लाइसेंस प्राप्त करने में वर्षों लग सकते हैं, लेकिन कोविड-19 महामारी को देखते हुए इस वायरस के खिलाफ प्रयोगात्मक वैक्सीनों को आपातकालीन स्थिति में प्रयोग की अनुमति जल्द ही दी जा सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने चेतावनी दी है कि प्रयोगात्मक वैक्सीन को तैयार करने में 12 से 18 महीने लग सकते हैं, लेकिन फिर भी कंपनियां इस वायरस की काट खोजने के लिए वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया में तेजी ला रही हैं।
लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के अनुसार, दुनियाभर में 100 से ज्यादा प्रयोगशालाएं कोरोना की वैक्सीन को तैयार करने में जुटी हुई हैं, लेकिन अब तक केवल सात प्रयोगशालाएं ही नैदानिक परीक्षण के स्तर तक पहुंच सकी हैं।