-दिनेश ठाकुर
मीडिया की तारीफों के बावजूद टिकट खिड़की पर लडख़ड़ा रही तापसी पन्नू की ‘थप्पड़’ को एक और झटका लगा है। शादीशुदा महिलाओं की पीड़ा को गहराई से रेखांकित करने वाली यह फिल्म ऑनलाइन लीक हो गई है। दक्षिण की एक शातिर बेवसाइट ने फिल्म मुफ्त डाउनलोड करने के लिए अपने तमाम डोमेन पर इसका एचडी प्रिंट डाल दिया है। करीब 22 करोड़ रुपए की लागत से बनी ‘थप्पड़’ प्रदर्शन के शुरुआती चार दिन में 16.92 करोड़ रुपए का कारोबार कर चुकी है। ऑनलाइन लीक होने से इसकी कमाई पर ग्रहण लग सकता है। डिजीटल प्लेटफॉर्म पर घात लगाए बैठी बदमाशों की टोली इससे पहले भी ‘छपाक’, ‘पंगा’, ‘मणिकर्णिका’, ‘उड़ता पंजाब’, ‘पा’, ‘माझी’ और ‘लव आजकल 2’जैसी फिल्मों को लीक कर इनका कारोबार चौपट कर चुकी है।
सिनेमाघरों में पहुंच चुकी फिल्मों को लीक करने का हिसाब-किताब तो समझा जा सकता है, लेकिन हैरानी का सबब यह है कि अनुराग कश्यप की विवादास्पद ‘पांच’ और सनी देओल की ‘मोहल्ला अस्सी’ सिनेमाघरों में पहुंचने से पहले ही ऑनलाइन देख ली गईं। दरअसल, पाइरेसी भारतीय सिनेमा का लाइलाज मर्ज बन गई है। इस मर्ज ने अस्सी के दशक में फिल्म इंडस्ट्री को जकडऩा शुरू कर दिया था, जब देश में वीडियो बूम की शुरुआत हुई थी। उस दौर में नई फिल्मों के प्रदर्शन के बाद इनके पाइरेटेड वीडियो कैसेट बाजार में आ जाते थे। तब ज्यादातर घरों में वीडियो प्लेयर नहीं थे। इसलिए शहर-कस्बों के गली-मोहल्लों में वीडियो थिएटर खुल गए थे, जहां पाइरेटेड वीडियो कैसेट से फिल्में दिखाई जाती थीं। वीडियो कैसेट्स का दौर गया तो फिल्मों की पाइरेटेड सीडी घर-घर पहुंचने लगीं। अब सीडी भी बाजार से गायब हो चुकी हैं, लेकिन वेबसाइट्स ने फिल्में चुराने वालों का काम और आसान कर दिया है। आखिर वेबसाइट्स वालों तक फिल्में पहुंच कैसे रही हैं, यह फिल्म वालों के लिए जटिल पहेली बना हुआ है। फिल्म इंडस्ट्री के ही कुछ ‘विभीषणों’ की मिलीभगत के बगैर यह मुमकिन नहीं लगता। जब सलमान खान की ‘सुलतान’ (2016) लीक हुई तो उन्होंने कबूल किया था कि फिल्म की यूनिट से जुड़े एक शख्स ने पाइरेसी करने वालों को कॉपी मुहैया की थी। अफसोस की बात है कि लंका ढाने वाले ऐसे घर के भेदियों के खिलाफ फिल्म इंडस्ट्री ने कभी कोई सख्त कार्रवाई नहीं की।
फिल्मों की पाइरेसी से भारतीय सिनेमा को हर साल अरबों रुपए का घाटा हो रहा है। चार साल पहले हैदराबाद में हुए फिल्म कार्निवल में पाइरेसी को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गई थी। इसके मुताबिक फिल्म इंडस्ट्री को पाइरेसी सालाना 13.79 अरब रुपए का चूना लगा रही है। इंडस्ट्री में 47 फीसदी कमाई बॉलीवुड की फिल्मों से होती है। क्षेत्रीय फिल्मों (तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, बांग्ला, मराठी, भोजपुरी) की हिस्सेदारी 50 फीसदी, जबकि विदेशी फिल्मों की सात फीसदी है।
रिपोर्ट में बताया गया था कि दुनियाभर में 150 से ज्यादा बेवसाइट्स भारतीय फिल्मों की कॉपी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बांट देती हैं। इनमें से आधी वेबसाइट्स सिनेमा के अंतरराष्ट्रीय ‘चौधरी’अमरीका में हैं। कनाडा में 11, पनामा में 9 और पाकिस्तान में 6 बेवसाइट्स यह काला धंधा कर रही हैं। ‘बाहुबली’ भी प्रदर्शन के दिन ही लीक हो गई थी। करीब 10.6 लाख लोगों ने यह फिल्म डाउनलोड की और दस लाख से ज्यादा ने इसे डेढ़ हजार लिंक्स के जरिए देखा। भारत में पाइरेसी के खिलाफ कोशिशें ऊंट के मुंह में जीरे जैसी हैं। महाराष्ट्र और तमिलनाडु को छोड़ किसी राज्य में एंटी पाइरेसी सेल तक नहीं हैं। भारतीय फिल्मों की पाइरेसी करने वाली 67 फीसदी वेबसाइट्स विदेशी हैं। सरकार देशी वेबसाइट्स पर ही कार्रवाई नहीं करती, विदेशी तो उसके अधिकार क्षेत्र से बहुत दूर हैं।