कहीं हमारे बच्चे इस वर्चुअल दुनिया में इतना न खो जाएं कि वो वास्तविक जिंदगी के संघर्ष और परेशानियों का सामना ही न कर पाएं। जानते हैं इससे बचने का उपाय

बच्चों में सोशल नेटवर्किंग, गैजेट्स और तकनीक के लिए बढ़ती दीवानगी ने पैरेंट्स को डरा दिया है। डर इस बात का कि कहीं हमारे बच्चे इस वर्चुअल दुनिया में इतना न खो जाएं कि वो वास्तविक जिंदगी के संघर्ष और परेशानियों का सामना ही न कर पाएं। इस डर का प्रतिबिंब उस समय देखने को मिला जब पिछले साल इस बात पर बहस तेज हो गई कि तकनीक का जिम्मेदारी से उपयोग करने के लिए उपकरण बनाने की कवायद को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। एप्पल कंपनी ने बच्चों में आईफोन की लत को देखते हुए इस ओर ध्यान देने को कहा। गूगल के डवलपर प्रोग्राम की ओर से कॉन्फे्रंस में स्मार्ट फोन और तकनीक के बेहतर ढंग से नियंत्रित उपयोग पर जोर दिया गया। यहां कहना उचित होगा कि हमारी पीढ़ी के टीनएजर्स और युवाओं को यह समझना होगा कि तकनीक से उत्पन्न लतों पर नियंत्रण रखना भी उतना ही जरूरी है जितना कि अच्छी डिजिटल सिटीजनशिप को बढ़ावा देना। बच्चों को मोबाइल की लत से बाहर आने के फायदों को लेकर प्रोत्साहित करें। उनको व्यस्त करें। उनके मनोरंजन के लिए खुद भी शामिल हों और इसके साइड इफेक्ट के बारे में भी बताएं।