वर्तमान जीवनशैली में रोज़मर्रा की भागदौड़ के बीच हम अपने शरीर, खानपान और व्यायाम इत्त्यादि के बारे में ध्यान ही नहीं दे पाते। हमारा शरीर हमारे भोजन और जीवनशैली के अनुसार तेजी से बदलता और प्रतिक्रया करता है। हमारे शारीरिक में होने वाले बदलाव बहुत से गंभीर रोगों के बारे में हमें न केवल सचेत करते है बल्कि समय रहते इनका इलाज लेकर हम बहुत से गंभीर खतरों से खुद को बचा सकते हैं। आइये जानते हैं कुछ ऐसे ही शारीरिक लक्षणों के बारे में जिन्हे नज़रअंदाज़ करना हमें बहुत भारी पड़ सकता है।
हम सभी जानते हैं कि किडनी हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। यह शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करती है। अगर किडनी में किसी तरह की गड़बड़ी हो जाए तो हानिकारक पदार्थ शरीर से बाहर नहीं निकल पाते और इसका सीधा असर हमारे लिवर और दिल पर पड़ता है। आजकल लोगों में क्रॉनिक किडनी डिजीज यानी गुर्दे खराब होने की समस्या तेजी से बढ़ रही है। अगर वक्त रहते हमें किडनी की परेशानी का मालूम हो जाए तो इसका इलाज कराके ठीक कराया जा सकता है। आज हम आपको इसके लक्षण बताएंगे, जिससे आप वक्त रहते इस बीमारी को पहचान कर इलाज करवा सकते हैं। किडनी खराब होने पर शरीर में विषैले पदार्थ जमा होने लगते हैं, जिससे हाथों और पैरों में सूजन आने लगती है।
यूरिन से भी किडनी की परेशानी का पता चलता है। यूरिन का रंग गाढ़ा होना या रंग में बदलाव भी इसका इशारा हो सकता है। अगर आपके पेट के बांयीं या दांयीं ओर असहनीय दर्द हो रहा हो, तो इसे कतई हल्के में ना लें, क्योंकि यह किडनी में परेशानी की हिंट हो सकती है। इस बीमारी में पेशाब आने की मात्रा बढ़ती या कम होती है। इसके अलावा बार-बार पेशाब आने का एहसास होना मगर करने पर पेशाब का न आना भी किडनी फेल का लक्षण है। अगर आपको मूत्र के दौरान खून आए तो ऐसे में आपको बिल्कुल लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। अगर आपको अचानक कई बार पेशाब आ रहा है तो यह किडनी की बीमारी का इशारा है। छोटे-मोटे काम करने के बाद कमजोरी, थकान महसूस होना या हार्मोन का स्तर गिरना किडनी फेल का लक्षण है। किडनी के काम न करने के कारण शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने के कारण सांस लेने में तकलाफ होने लगती है। इस बीमारी के कारण आपकी आंखो में दर्द और दिमाग पर प्रैशर पड़ने लगता है जिससे आप किसी भी चीज पर ध्यान नहीं लगा पाते।
अगर हैं शरीर पर ये ‘पांच निशान’ तो हो जाएँ सावधान
त्वचा पर रैशेज, तिल या लच्छन (बर्थ मार्क्स) में होने वाले बदलावों को हल्के में न लें, ये आपके लिए त्वचा के कैंसर का इशारा भी हो सकते हैं।
जी हां, त्वचा के कैंसर के दौरान त्वचा पर कई तरह के बदलाव होते हैं जो मेलेनोमा (धूप से होने वाले) या नॉन- मेलेनोमा (बेहद गंभीर) कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।
बर्थ मार्क्स
शरीर में लच्छन यानी बर्थ मार्क्स जन्मजात हैं और इससे कोई नुकसान नहीं है। लेकिन जब इसका आकार बढ़ने लगे, रंग बदलने लगे, इस पर खुजली हो या खून निकले, तो डॉक्टर से जरूर मिलें। यह त्वचा के कैंसर का शुरुआती दौर हो सकता है।
तिल
त्वचा पर तिल होना बेहद सामान्य और यह सुंदरता का प्रतीक माना जाता है। अगर इसका आकार बढ़ने लगे और यह अधिक गाढ़ा होने लगे तो यह त्वचा के कैंसर का संकेत हो सकता है। तिल के आसपास की त्वचा का रंग बदले तो भी इसे हल्के में न लें।
धब्बे
त्वचा पर अगर धब्बे चार हफ्तों से ज्यादा हों तो यह त्वचा के कैंसर का संकेत हो सकता है। इसमें जलन हो या खून बहे तो डॉक्टर से जरूर मिलें।
एक्जिमा
एक्जिमा यानी खाज भी त्वचा के कैंसर का लक्षण हो सकता है। खासतौर पर अगर यह समस्या कोहनी, हथेली या घुटनों पर दिखे तो इसे लेकर लापरवाही न बरतें।
रोजेशिया
त्वचा पर रोजेशिया की समस्या यानी बहुत अधिक लाली और जलन भी त्वचा के कैंसर का लक्षण हो सकती है। माथा, गाल, ठुड्डी और आंखों के आस-पास की त्वचा लाल हो और उसमें खूब जलन हो तो यह त्वचा के कैंसर का संकेत हो सकता है।