– ब्रिटेन 1973 में यूरोपीय यूनियन (britain-eu) से जुड़ा था। 28 देशों के इस समूह से अलग होने के लिए वर्ष 2016 में ब्रेग्जिट पर जनमत संग्रह (referendum) कराया गया था। जनमत संग्रह पर जनता की मुहर के बावजूद ब्रिटेन को ईयू से अलग होने में करीब 43 महीने का वक्त लग गया।

जयपुर.
आखिर ब्रेग्जिट के साथ ही ब्रिटेन का यूरोपीय संघ से 47 वर्ष पुराना नाता टूट गया। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा, ‘यह नए युग की शुरुआत है।’ सवाल उठता है तीन साल चली इस जद्दोजहद का नतीजा क्या है। क्या बदलाव होंगे? ब्रेग्जिट के तत्काल बाद बदलाव महसूस नहीं होंगे, क्योंकि समझौते में 11 महीने का संक्रमण काल निर्धारित है। इसके मुताबिक 31 दिसंबर तक ब्रिटेन के लोग ईयू के देशों में काम और कारोबार कर सकेंगे। साथ ही ईयू के सदस्य देशों के नागरिक भी 31 दिसम्बर तक ब्रिटेन में काम और कारोबार कर सकेंगे। बदलाव ये होगा कि अब ब्रिटेन का यूरोपीय संघ के संस्थाओं में प्रतिनिधित्व नहीं होगा। यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार जारी रहेगा।
ब्रिटेन अब भी यूरोपीय संघ के बजट में योगदान देगा। ईयू के कानूनों का पालन करेगा। सीधे शब्दों में कहें तो 11 महीने के संक्रमण काल में ब्रेग्जिट का सीधा प्रभाव नजर नहीं आएगा। ब्रिटेन में मत्स्य पालन आयरलैंड, फ्रांस और डेनमार्क के लिए बड़ा रोजगार का साधन है। लेकिन जॉनसन ने कहा है, ब्रिटेन अपनी समुद्री संपदा को फिर से हासिल करेगा। वैसे तो ब्रिटेन को ब्रेग्जिट के बाद यूरोपीय संघ के देशों से व्यापार में नए समझौते करने की चुनौती होगी, लेकिन अच्छी बात ये है कि ब्रिटेन अब उन देशों से भी मुक्त व्यापार के लिए स्वतंत्र है, जिनसे ईयू का व्यापार नहीं है। इस सूची में अमरीका सबसे ऊपर है। ट्रंप पहले ही बड़े सौदे का वादा कर चुके हैं। इस समय सीमा तक ब्रिटेन को कारोबारी, रक्षा, ऊर्जा, यातायात और डाटा समेत अहम मुद्दों पर समझौते करने होंगे।
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यूरोपीय संघ को भी आर्थिक नुकसान होगा
ब्रिटेन के अलग होने से ईयू को आर्थिक तौर पर नुकसान का सामना करना पड़ेगा। उसकी अर्थव्यवस्था में 15 फीसद की कमी आ जाएगी। इसकी बड़ी वजह यह है कि लंदन को ईयू की आर्थिक राजधानी माना जाता है। इसके अलावा ब्रिटेन अपना नया पासपोर्ट बनाएगा। इसका रंग नीला होने के साथ ही इस पर यूरोपीय संघ की मुहर भी नहीं होगी। अब तक ये पासपोर्ट यूरोपीय संघ के 28 देशों की यात्रा के लिए प्रयुक्त होता था।
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भारत पर क्या होगा ब्रेग्जिट का असर
ब्रेग्जिट के बाद भारत पर इसके प्रभाव को लेकर राजनीतिक विश्लेषक अलग-अलग नजरिए से देख रहे हैं। कुछ का कहना है कि ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार और व्यापारिक परिचालन के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रहेगी, लेकिन ब्रिटेन को दुनियाभर में नए करार और भागीदारी के लिए पूरी स्वतंत्रता मिलेगी। इससे भारत को फायदा होगा। हिंदुजा समूह के जीपी हिंदुजा ने कहा कि दोनों देशों के पास मुक्त व्यापार करार के लिए व्यापक संभावनाएं हैं।